Sunday 21 September 2014

इतना काम करने से पितर अत्यंत प्रसन्न हो जाएंगे

सर्वपित्री अमावस्या ( 23, सितम्बर )

श्राद्घ पक्ष में नहीं करें ऐसी गलती पितर देंगे शाप...

श्राद्घ पक्ष चल रहा है और इन दिनों विभिन्न लोकों में गए पितर धरती पर आए हुए हैं।

23, सितंबर को सर्वपितृ श्राद्घ है। इसदिन सभी पितरों का श्राद्घ होगा इसके बाद जो पितर जिस लोक से आए हुए हैं वापस अपने लोक में चले जाएंगे। तब तक आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए वरना पितरों से आशीर्वाद मिलने की बजाय शाप मिल सकता है।

पितरों का शाप देवताओं से भी अधिक कष्टकारी होता है। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि जिनके पितर नाराज हो जाते हैं उनकी ग्रह दशा अच्छी भी हो तब भी उनके जीवन में हर पल परेशानी बनी रहती है।

बनते काम अचानक से बिगड़ जाते हैं और बार-बार आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो इसका एक बड़ा कारण पितरों की नाराजगी हो सकती है।

पितृपक्ष के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि इन दिनों मनुष्य को अपना आचरण शुद्घ और सात्विक रखना चाहिए। इसलिए भोजन में मांस-मछली, मदिरा और तामसिक पदार्थों से परहेज रखना चाहिए।

क्योंकि आप जो भोजन करते हैं उनमें से एक अंश पितरों को भी प्राप्त होता है। इन दिनों मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें और काम-वासना से बचें।

शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य को श्राद्घ पक्ष में मैथुन एवं कामुक प्रवृतियों से बचना चाहिए। क्योंकि आप जो कुछ भी करते हैं वह सब पितृगण देख रहे होते हैं। अगर आपका व्यवहार और आचरण ठीक नहीं लगा तो पितृगण आपसे कुपित हो सकते हैं।

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितरों को अन्न जल की प्राप्ति उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दिए गए अन्न जल से होती है। इसलिए पूरे वर्ष जब आप सूर्य को जल देने के साथ पितरों को याद करते हुए अंगूठे के सहारे पानी धरती पर गिराएं इससे यह जल पितरों को प्राप्त हो जाता है।

अगर आप पूरे साल नहीं भी कर पाएं तो पितृपक्ष में ऐसा जरुर करना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि स्नान करते समय संतान के शरीर से जो जल भूमि पर गिरता है उससे भी पितृ तृप्त होते हैं इसलिए स्नान करते समय भी भगवान के साथ पितरों का ध्यान जरुर करना चाहिए।

एक काम यह भी करें कि इन दिनों जो भी भोजन बनाएं उनमें से एक हिस्सा निकालकर गाय या कुत्ते को खिला दें अथवा किसी सुनसान स्थान में रख आएं। आपके इतना काम करने से पितर अत्यंत प्रसन्न हो जाएंगे।

श्राद्घपक्ष के दौरान आपके घर अगर कोई अतिथि आ जाए तो उसे प्रसन्नता पूर्वक भोजन कराएं। भिखारी और अनजाना व्यक्ति भी अन्न जल की चाहत लिए आपके घर आए तो उसका निरादर नहीं करें बल्कि उन्हें श्रद्घापूर्वक भोजन और जल दें।
ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्रों का मत है कि श्राद्घ पक्ष में पितर कई बार जीव-जंतु या मनुष्य के रुप में अपने परिजनों के घर पहुंचते हैं। अगर उस समय उन्हें अन्न जल नहीं मिला और वह नाराज होकर चले गए तो समझ लीजिए आपके बुरे दिन आने वाले हैं।

आपकी जितनी श्रद्घा और सामर्थ्य हो उस अनुसार आप दान और ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं। इस काम को करने से पितर बहुत प्रसन्न होते हैं। जो ऐसा करता है उस पर पूरे साल पितरों की कृपा बनी रहती है।

आमतौर कुत्ते, बिल्लियों एवं गाय को पशु मानकर लोग उन पर डंडे बरसा देते हैं या दुत्कार कर भगा देते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो अपने व्यवहार पर संयम रखें और पूरे श्राद्घ पक्ष में कुत्ते, बिल्लियों एवं गाय को मारने की गलती नहीं करें।

शास्त्रों में कई ऐसे उदाहरण दिए गए हैं जब पितृपक्ष में पितृगण इन पशुओं के रुप में अपने परिजनों से अन्न जल मांगने पहुंचे। लेकिन अन्न जल मिलने की बजाय इन्हें पिटकर भगा दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि पितृगण क्रोधित होकर शाप दे गए और उनसे देवी लक्ष्मी रुठकर चली गई।

इसलिए इस पूरे श्राद्घ पक्ष में गाय को गुड़ के साथ रोटी खिलाएं और कुत्ते, बिल्ली और कौओं को भी आहार दें। इससे पितरों का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा।
इसलिए पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने वाले काम करें और ऐसी कोई गलती नहीं करें जिनसे पितर नाराज होकर आपके शाप दें।

3 comments:

  1. बहुत ही बढियाँ
    धन्यवाद है आपको

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  2. बहुत ही बढियाँ
    धन्यवाद है आपको

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