Saturday 6 September 2014

साकाररुप से प्रकट करता हु

मै अजन्मा और अविनाशी स्वरुप होते हुऐ भी तथा सम्पुर्ण प्राणियोँ का ईश्वर होते हुऐ भी अपनी प्रक्रती को अधीन करके अपनी योगमाया से प्रकट होता हू ।हे भरतवशीँ अर्जुन जब जब धर्म की हानि और अधर्म की व्रद्धि होती है तब तब ही मैँ अपने आपको साकाररुप से प्रकट करता हु ।। 2. साधुओँ भक्तोँ की रक्षा करने के लिऐ पाप कर्म करने वालोँ का विनाश करने के लिये और धर्म की भली भाँति स्थापना करने के लिये मैँ युग युग मेँ प्रकट हुआ करता हु ।। हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म दिव्य है । इस प्रकार जो मनुष्य तत्व से जान लेता है अर्थात द्रढता पुर्वक मान लेता है वह शरीर त्याग करके पुनर्जन्म प्राप्त नहीँ होता ।।राग भय और क्रोध से सवर्था रहित मेरे मेँ ही तल्लीन मेरे ही आश्रित तथा गियान रुप तप से पवित्र हुऐ बहुत से भक्त मेरे भाव को प्राप्त हो चुके है ।। जय श्री क्रष्णा ।। ॐ श्री सत्य सनातन धर्म की जय हो ।।

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