Saturday 6 September 2014

गुरु की डाट पिता के प्यार से अच्छी होती है

उत्तम मनुष्य को विनम्रता से , बहादुर को भेद से , दुष्ट व्यक्ती को धन से , और बराबर वाले को पराक्रम से बस मेँ करना चाहिये । 2. जैसा तुम्हारा लक्ष्य होगा वैसा ही तुम्हारा जीवन होगा ।3 अन्धाँ वह नहीँ जो देख नही सकता बल्की अन्धाँ तो वह है जो देखकर भी अपनेँ दोषोँ पर पर्दा डालने का प्रयास करता है ।4 जब तुम अपनी सहायता करते हो तब ईश्वर भी तुम्हारी सहायता करता है । 5 जब तक तुम स्वयँ अपने मेँ विश्वास नहीँ करते , तब तक परमात्माँ मेँ तुम विश्वास नहीँ कर सकते ।। 6 एक अच्छी माता सौ शिक्षकोँ के बराबर होती है इसलिऐ उसका हर हालत मेँ सम्मान करना चाहिये ।। 7 गुरु की डाट पिता के प्यार से अच्छी होती है ।। सत्य सनातन धर्म की जय हो ।। प्रभु श्री राजा राम की जय हो ।।

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