Friday 19 September 2014

देवताओं या ईश्वर जैसी चेतन शक्तियाँ विद्यमान् है

कोई 32 वर्ष पूर्व दो वैज्ञानिकों कोक्राफ्ट और वाल्टन ने एक एक्सीलेटर का निर्माण कर यह बताया कि उससे दस लाख इलेक्ट्रान बोल्ट की ऊर्जा (विद्युत + प्रकाश और ताप) के कण उत्पन्न किये जा सकते हैं। इसी क्रम में सायग्लोट्रान और बीटाट्रान का निर्माण हुआ उनसे डेढ़ करोड़ इलेक्ट्रान बोल्ट की ऊर्जा वाले कण उत्पन्न किये जा सकते हैं। इतनी शक्ति वाले एक्सीलेटर ही पृथ्वी की मोटरों से लेकर विशाल अन्तरिक्ष यानों को ढोकर कहीं का कहीं पहुँचा देते हैं। बाद में रूस और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने अनेक अनुसन्धानों के आधार पर बताया कि प्रकृति में अपने आप बहुत ऊर्जा वाले कण विद्यमान् है। उन्होंने ‘कास्मिक’ किरणों में पाये जाने वाले ‘मेसान हायपरान’ आदि अस्थिर कणों को पकड़ कर उनकी प्रकृति और गुणों का प्रयोगशाला में अध्ययन कर बताया कि उनमें इतनी अधिक ऊर्जा है जितनी एक्सीलेटरों के द्वारा कभी पैदा भी नहीं की जा सकती। वायु शावरों (एयर शावर्स) के विस्तृत अध्ययन के बाद यह पाया कि उनमें लाखों-करोड़ों ऐसे उच्च ऊर्जा वाले कण विद्यमान् हैं जिनकी हजारवें हिस्से की ही शक्ति से अन्तरिक्ष यान जैसे विशाल भार को चन्द क्षणों में ही किसी भी ग्रह-नक्षत्रों तक पहुँचाया जा सकता है। ऐसे कणों में इलेक्ट्रान और प्रोट्रान कण भी सम्मिलित हैं। जब ब्रह्माण्ड किरणों (कास्मिक रेंज) वायुमण्डल पर पहुँचती है तो उन्हीं के द्वारा अनेक प्रकार के भौतिक पदार्थों की रचना सम्भव होती है। उन भौतिक पदार्थों की मानसिक प्रक्रिया का भी अध्ययन अब सम्भव हो पाया है और वैज्ञानिक यह विश्वास करने लगे हैं कि स्थूल पदार्थों और शरीर के कणों में भी वह तत्त्व बीज रूप से विद्यमान् है जो सृष्टि के आविर्भाव काल से ब्रह्माण्ड अस्तित्व में है। विचारों की तरंगें वहीं पैदा करते हैं। अभी तो नहीं पर एक दिन निश्चित रूप से वैज्ञानिक यह मानने के लिये विवश होंगे कि यह विचार-तरंगें निरर्थक नहीं वरन् किसी संकल्प और गणितीय नियमों में सधे हुये होते हैं। तात्पर्य यह है कि ब्रह्माण्ड में देवताओं या ईश्वर जैसी चेतन शक्तियाँ विद्यमान् है और उनसे मानसिक संपर्क स्थापित कर अनेक तरह की सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।

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